नचिकेता की कहानी - कठोपनिषद में दी गई नचिकेता की कहानी

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neha riddhi
Published on: February 13, 2025
Updated on: February 13, 2025
नचिकेता की कहानी - कठोपनिषद में दी गई नचिकेता की कहानी blog

वैदिक युग के तेजस्वी ऋषिबालक नचिकेता की कहानी हमे कठोपनिषद में मिलती है। नचिकेता को दुनिया का पहला जिज्ञासु माना जाता है। नचिकेता ने यमराज से आत्मा और ब्रह्म का ज्ञान हासिल किया।

नचिकेता ऋषि वाजश्रवस के पुत्र थे। नचिकेता को दुनिया का पहला जिज्ञासु माना जाता है। नचिकेता के पिता ने एक शपथ ली थी। यह एक पवित्र अनुष्ठान था, जिसमे उन्हें अपनी सारी सांसारिक संपत्ति जैसे की "अपना घर, सामान यहां तक की अपनी पत्नी , बच्चे,  सब कुछ ऋषियों , ब्राह्मणो और दूसरे लोगो को दान में देना था। " इस यज्ञ के माध्यम से आध्यात्मिक आनंद प्राप्त करते हैं।

नचिकेता के पिता का यह यज्ञ बड़े ही सुन्दर और अच्छे रूप में सम्पन्न हुआ।  लेकिन उन्होंने दान करते समय अपनी सभी बीमार गायें, बेकार संपत्ति और जो चीजे उनके लिए बोझ थी वे सब दान में दे डाली।  इसके विपरीत जिनकी उन्हें जरूरत थी जैसे पत्नियों और बच्चे को अपने पास ही रखा। 

यह सब देखकर नचिकेता को बहुत दुःख हुआ क्योकि उनके पिता ने ईमानदारी नहीं दिखाई। उनके पिता ने शपथ ली थी कि "वह आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति के लिए सब कुछ दान कर देंगे। "  लेकिन उन्होंने अपनी बुद्धि का गलत उपयोग करके बेकार की चीजे दान में दे दी।

 

 नचिकेता ने साल की उम्र में अपनी असाधारण समझ का प्रमाण देते हुए अपने पिता से कहा कि आप सब कुछ नहीं देना चाहते थे तो आपको यह शपथ लेनी ही नहीं चाहिए थी।  मुझे बताइये की आप मुझे  किसे दान में देना चाहते थे? नचिकेता के बार-बार वही प्रश्न पूछने पर उनके पिता क्रोधित होकर कहा "मै तुझे यम को देता हूँ।"

 

नचिकेता अपने पिता की बात को गंभीरता से लेते हैं और यम के पास जाने की तैयारी करते है।  अंततः नचिकेता यमलोक पहुंचे द्वारपालों ने उन्हें द्वार पर ही रोक दिया। उस समय यमराज यमलोक में नहीं थे। नचिकेता दिन बिना भोजन पानी किये यम के द्वार के बाहर उनका इन्तजार करते रहे।  दिनों बाद जब यमराज वापस लौटे उन्होंने पूरी तरह से थके बालक को द्वार के बाहर देखा जो दिनों से वहां बैठकर यम की प्रतीक्षा कर रहा था। यमराज नचिकेता के पक्के इरादे से बहुत प्रभावित होकर बोले "मुझे बहुत अच्छा लगा कि तुम दिन से मेरा इन्तजार कर रहे हो तुम्हे क्या चाहिए।  यम नचिकेता से खुश होकर उन्हें वरदान मांगने को बोलते है।  "

 

वरदान -

नचिकेता कहते हैं " मेरे पिता बहुत लालची है।  उन्हें सांसारिक सुख सुविधाएं बहुत प्रिय है।  इसलिए आप उन्हें सारे भौतिक ऐशोआराम का आशीर्वाद दें। उन्हें राजा बना दीजिए।  यम ने यह स्वीकार किया और तथास्तु कहा "

 

वरदान -

दुसरे वरदान  के रूप में नचिकेना ने यम से पुछा कि ज्ञान प्राप्ति हेतु किस तरह के क्रोमो और यज्ञों को करने की जरूरत है।  बालक की ऐसी जिज्ञासा देख कर यम में उन्हें वैदिक साहित्य और यज्ञों के बारे बताया। 

 

वरदान -

नचिकेता ने वरदान के रूप में यम से पुछा मृत्यु के रहस्य  क्या है? मृत्यु के बाद क्या होता है? प्रश्न सुन कर यम बोले कि "तुम इस प्रश्न को वापस लेलो और इसके बदले मुझसे कुछ भी मांग लो।" यम नचिकेता को ललचाने के लिए राज्य, धन और सुख देने की बात करते है।  लेकिन नचिकेता बोलते है "इन सब का मै क्या करूंगा। आप मुझे बता चुके है कि यह सब नश्वर है और मै भी यह समझ चूका हु कि  यह सारे भौतिक सुख अर्थहीन है इसलिए यह सब मै नहीं चाहता। "

यम इस सवाल को टालने की कोशिश करते रहे क्योकि "देवता भी इस प्रश्न का उत्तर नहीं जानते।" लेकिन नचिकेता अपनी बात पर अटल थे उन्हें मृत्यु का रहस्य जानना ही था।  यम फिर से एक बार उन्हें छोड़कर चले गए।  अंत में नचिकेता को यम के द्वार पर ही ज्ञान की प्राप्ति हुई और नचिकेता ने खुद को विलीन कर दिया।

 

 

 

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