अतेफेह राजाबी का अभिशाप: ईरान का अक्षम्य पाप

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Ashish Verma
Published on: June 21, 2025
Updated on: June 21, 2025
अतेफेह राजाबी का अभिशाप: ईरान का अक्षम्य पाप blog
अतेफ़ेह राजाबी सहालेह की कहानी आधुनिक ईरान में अन्याय और क्रूरता के सबसे भयावह उदाहरणों में से एक है। 2004 में उनकी फांसी ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया था और ईरान के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर एक काला धब्बा बना हुआ है।

Atefeh Sahaaleh (Executed Iranian Girl) ~ Wiki & Bio with Photos | Videos

अतेफेह राजाबी सहालेह की कहानी सिर्फ़ एक त्रासदी नहीं है - यह एक अभिशाप है।

अतेफेह की उम्र सिर्फ़ 16 साल थी जब उसे ईरानी शासन द्वारा सार्वजनिक रूप से फाँसी पर लटका दिया गया था। ईरान के छोटे से शहर नेका में जन्मी, वह गरीबी में पली-बढ़ी और छोटी उम्र से ही उसे दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। उसकी गरिमा और अंततः उसका जीवन एक ऐसे शासन द्वारा छीन लिया गया जो महिलाओं की पीड़ा पर पनपता है। उसकी माँ कथित तौर पर मानसिक रूप से अस्थिर थी। 

अतेफ़ेह राजाबी सहालेह की फांसी सिर्फ़ एक न्यायिक हत्या नहीं थी - यह एक अनुष्ठान था, जो सभी ईरानी लड़कियों के लिए एक चेतावनी थी कि अगर "हमारी अवज्ञा करोगे तो,  तुम चीखते हुए मरोगी।"

लेकिन कुछ मौतें चुप नहीं रहतीं। कुछ आवाज़ें, यहाँ तक कि फंदे से भी गला घोंटने पर, चुप होने से इनकार करती हैं।

यह अतेफ़े के अभिशाप की कहानी है - और कैसे ईरान का अत्याचार अपने पापों के खून में डूब रहा है।

15 साल की उम्र में, अतेफ़े का एक बहुत बड़े आदमी द्वारा बलात्कार किया गया।  जिसके लिए उस अपराधी को कोई सजा नहीं मिली। मदद पाने के बजाय, उसे ईरान के दमनकारी इस्लामी कानूनों के तहत एक अपराधी की तरह माना गया। ईरान के उन इस्लामी कानूनों के तहत यौन हिंसा के पीड़ितों को सजा दी जाती थी ना की अपराधियों को।  

अतेफेह ऐसे देश में फंस गई थी जहाँ पीड़ित को सज़ा दी जाती है और शिकारी आज़ाद घूमता है। वह गरीब, अशिक्षित और बिलकुल अकेली थी - वह ईरान के इस्लामिक कानून की शिकार हुई, जो उसके जैसी यौन शोषित लड़कियों को मदद करने के बजाय सजा देने के लिए बनाई गई थी। 

अन्याय के सर्कस कैसे पीसी अतेफेह

गिरफ़्तारी के बाद जब अतेफेह को अदालत के सामने पेश किया गया। अन्याय की उस अदालत ने भी अतेफेह के चरित्र पर सवाल खड़े कर दिए थे। और "व्यभिचार" का आरोप लगाया गया था। न्यायाधीश कहे या जल्लाद "हाजी रेजाई" जो अपपनी क्रूरता के लिए जाना जाता था, उसे किसी को फांसी की सजा देने में आनंद आता था और वह इस  गर्व महसूस करता था। 

जज हाजी रेजाई ने उसके दर्दनाक हादसे पर विचार करने से मना कर दिया और यह मानने से इंकार कर दिया कि उसके साथ बलात्कार हुआ है।  

अदालत में अपने ऊपर हो रहे अन्याय को देखकर अतेफेह हताश हो गयी और उसने ईरान की भरी इस्लामिक अदालत में अपना हिजाब फाड़ दिया और जज  पर चिलायी : 

"तुम एक हत्यारे हो! तुम जल्लाद हो! अगर हिम्मत है तो मुझे मार डालो!"

इस्लामिक अदालत में एक लड़की, महिला या बच्ची के द्वारा हिजाब फाड़ना और चिल्लाना आम बात नहीं थी। अतेफेह के चिलाते ही अदालत में सन्नाटा छा गया। जज का चेहरा गुस्से से तमतमा गया।

जज हाजी रेजाई ने अपनी क्रूरता की सारी हदे पार करते हुए, उस मासूम सी 15 साल की बच्ची को सार्वजनिक रूप से फांसी की सजा सुनाई।

फांसी या फिर क्रूरता का नंगा प्रदर्शन

तारीख़ 15 अगस्त, 2004, जब हम सब भारत वासी अपनी आजादी की वर्षगांठ का जश्न मना रहे थे।  ठीक उसी दिन हमसे कोसों दूर ईरान में मानव इतिहास का सबसे बड़ा क्रूरता का प्रदर्शन होने जा रहा था। 

अतेफेह की फांसी-

15 अगस्त, 2004 को अतेफ़ेह राजाबी सहालेह को ईरान के नेका शहर के चौराहे पर लाया गया, जहां पर फांसी का तख्ता लगाया हुआ था। उसके आँखों में आंसू थे। वह रोते - रोते अपनी जान की भीख मांग रही थी। वहां पर उपस्थित सारे लोग चारों तरफ से उस १६ साल की लड़की को देख रहे थे।  वह जान की भीख मांगती रही लेकिन उसे बचाने कोई नहीं आया।  

सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थी। उस मासूम सी अतेफ़ेह को खींचते हुए फांसी के तख्ते तक पहुंचाया गया। वहां पर जल्लाद ने उसके गले पर फांसी के फंदे को डाला।  उस वक्त वह मासूम सी बच्ची बुरी तरह से रो रही थी।  फंदा डालने के बाद जल्लाद दो कदम पीछे आया और उसने लीवर खींच दिया। 

जब उसे जांचा गया तो वह पूरी तरह से मरी नहीं थी। उसका शरीर ऐंठने लगा, सांस लेने के लिए हांफने लगी। जल्लादों ने रस्सी को दोबारा से उसके गले में डाला और उस मसूम को दोबारा फांसी के फंदे में झूला दिया। जिससे उसकी उसकी गर्दन टूट गई . 

मौत के बाद का अभिशाप 

अतेफेह की फांसी के बाद से, कई ईरानियों का मानना ​​है कि उसकी मौत ने देश पर अभिशाप दिया है। उनका मानना है कि उसके अंतिम शब्द - "अगर हिम्मत है तो मुझे मार डालो!" - उसे मारने वालों के लिए पीड़ा की भविष्यवाणी थे।

-- जज हाजी रेजाई, जिसने उसे सजा सुनाई थी, 2005 में एक बम हमले में उड़ गया था। उसका शरीर टुकड़ों में मिला था।

-- नेका, वह शहर जहाँ अतेफेह की हत्या हुई थी, भूकंप, बाढ़ और अज्ञात आपदाओं से त्रस्त था। स्थानीय लोग फुसफुसाते थे कि ज़मीन खुद शापित है।

-- अतेफेह की मृत्यु के बाद से, ईरान अंतहीन अराजकता में घिर गया है - बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, आर्थिक बर्बादी, अंतर्राष्ट्रीय अलगाव।

-- शासन, अपने ही खून की प्यास में डूबा हुआ, लड़कियों को मारता रहता है - लेकिन अब, दुनिया देख रही है।

अतेफेह एक प्रतीक

आज के समय में अतेफेह की कहानी ईरान के स्त्री-द्वेषी, बाल-हत्या शासन के खिलाफ़ एक रैली का नारा बन गई है। उसका नाम जबरन हिजाब, बाल-हत्या और लैंगिक रंगभेद के खिलाफ़ लड़ने वाले कार्यकर्ताओं द्वारा लिया जाता है। 

जब 2022 में महसा अमिनी की हत्या की गई, जब नीका शकरामी को एक इमारत से फेंक दिया गया, जब अर्मिता गेरावंड को कोमा में डाल दिया गया - तब अतेफेह का अभिशाप वहाँ था।

जब भी कोई लड़की "महिला, जीवन, स्वतंत्रता!" चिल्लाती है, तो अतेफेह की आवाज़ उसके साथ गूंजती है।

जब भी कोई बसिजी बिना पर्दा वाली महिलाओं की भीड़ के सामने कांपता है, तो अतेफेह का फंदा शासन की गर्दन पर कस जाता है।

अतेफ़े राजाबी एक बच्ची थी - उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया, बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई, एक ऐसी व्यवस्था ने जो महिलाओं को डिस्पोजेबल मानती है। उसके जल्लादों ने कोई दया नहीं दिखाई, और दुनिया बहुत लंबे समय तक चुप रही। 

लेकिन उसकी आत्मा ज़िंदा है। हर विरोध में, आज़ादी के लिए हर पुकार में, अतेफ़े की आवाज़ गूंजती है:

"अगर हिम्मत है तो मुझे मार डालो!"

Comments

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adminnitish
Nitish Sharma
June 22, 2025 8:49 AM

Good


adminnitish
Nitish Sharma
June 22, 2025 8:49 AM

Nice web store

  • adminnitish
    Nitish Sharma: Good June 22, 2025 8:49 AM

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